Thursday, June 17, 2010

वोह सूरत वोह सीरत, ख़ुशी की वोह मूरत.. खूबसूरत...अनमोल रतन जिसकी होगी न कीमत.

12.

वोह सूरत वोह सीरत, ख़ुशी की वोह मूरत
दिखी थी कभी जब, नाज़ुक सी खूबसूरत.

सुबह की किरण, चांदनी थी या जीनत.
चमन और गगन खुशबु उसका बदन, अनमोल रतन जिसकी होगी न कीमत.

~ Tarun

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